लोकप्रिय पोस्ट

शनिवार, 25 दिसंबर 2010

दो  अश्क  मेरी  याद  में  बहा  जाते  तो  क्या  जाता ,
चंद  कलियाँ  लाश  पर  बिछा  जाते  तो  क्या  जाता  !

आये  हो  मय्यत  पर  सनम  ओढ़  कर  नकाब  तुम ,
अगर  ये  चाँद  का  टुकड़ा  दिखा  जाते  तो  क्या  जाता  !

पूछते  थे  लोग  तुमसे  किसका  है  जनाज़ा  यह ,
मरने  वाला  कौन  था  बता  जाते  तो  क्या  जाता  !

सबके  सामने  मेरी  उल्फत  को  रुसवा  कर  दिया
नज़र  की  तल्खीयां  ,छुपा  जाते  तो  क्या  जाता  !

हर  ज़ख्म  ने  मेरे  तुम्हे  दी  हैं  दुआएं  उम्र  भर ,
हाय , इक  बार  सीने  से   लगा  जाते  तो  क्या  जाता  !

तुमको  याद  करते -करते  जान  दे  दी ,,,,
इक्क   चिराग  ही  मज़ार  पर  जला  जाते  तो  क्या  जाता  !!,,

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें