हाले - दिल सब को सुनाने आ गये खुद मज़ाक अपना उडाने आ गये फ़ूंक दी बीमाशुदा दूकान खुद फ़िर रपट थाने लिखाने आ गये मार डाली पहली बीवी, क्या ह...
सोमवार, 10 जनवरी 2011
दिल ऐ शायरी !!
इंसान की ख्वाहिशों की कोई इंतहा नही
दो गज़ ज़मीन भी चाहिये दो गज़ कफन के बाद !! .....................................................................................
चाँद की जुदाई में आसमान भी तड़प गया
उसकी एक झलक पाने को हर सितारा तरस गया
बादल के दर्द का क्या कहूँ
वो भी हस्ते - हस्ते हां हां हां हां हां बरस गया !!
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अगर वो आसमानों में बुलाये तो चले जाना
मोहब्बत करने वाले फासले देखा नहीँ करते
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