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गुरुवार, 27 जनवरी 2011

जज्बाती शायरी !!

परिंदों को मंजिल मिलेंगी यकीनन
यह फैले हुए उनके पर बोलते है
वोही लोग रहते है खामोश अक्सर
ज़माने में जिनके हुनर बोलते है ...
प्यार इक दर्द की अनुभूति है .
जो दिल रौता है ,तो आँखे बयां कर देती है !
 
प्यार इक ख्वाबो का व्रक्ष है ,
जो काटेंगे तो हज़ार बार उगता रहता है !!
हम ’ने दूंढ लिया है लोगों के दुःख दर्द का इलाज , क्या बुरा है जो ये अफवाह उड़ा दी जाए 
हुनर नहीं आता हमें दिलों से खेलने का , इसीलिए इश्क की बाज़ी हम हार गए ,
शायद उन्हें था मेरी ज़िंदगी से बहुत प्यार , इसीलिए मुझे जीते -- जी ही मार गए 
 
दीवाने हो गए हम जिनकी याद में , वो हम ही से बेगाने हो गए ,
शायद उन्हें तलाश है अब नए प्यार की क्यूंकि उनकी नज़र में हम पुराने हो गए .
 हीरे  की  शफक  है  तो  अँधेरे  में  चमक ,
धुप  में  आके  तो  शीशे  भी  चमक  जाते  हैं .
 भुझी  शमा  भी  जल  सकती  है ,
तूफान  से  कश्ती  भी  निकल  सकती  है ,
होके  मायूस  यूं  न  अपने  इरादे  बदल ,
तेरी  किस्मत  कभी  भी  बदल  सकती  है 
 ज़िन्दगी  में  कई  मुश्किलें  आती  हैं ,
और  इंसान  जिंदा  रहने  से  घबराता  है ,
न  जाने  कैसे  हज़ारों  काँटों  के  बीच ,
रह  कर  भी  एक  फूल  मुस्कुराता  है .
 गम  के  अंधेरो  में  खुद  को  यूह  न  बेक़रार  कर ...
गम  के  अंधेरो  में  खुद  को  यूह  न  बेक़रार  कर ....


सुभाह  ज़रूर  आएगी
सुभाह  का  इंतज़ार  कर  !
सर  झुकाओगे  तो  पत्थर  भी  देवता  हो  जायेगा ,
इतना  न  चाहो  उससे , वोह  बेवफा  हो  जायेगा .
हम  भी  दरिया  हैं , हमें  अपना  हुनर  मालूम  है ,
जिस  तरफ  चल  पडे  रास्ता  हो  जायेगा .


लहरों   को  शांत   देख   कर  यह  मत  समजना
की  समंदर  में  रवानी  नहीं  है ,
ज़ब  भी  उठेगे  तुफ्फान  बनकर  उठेगे ,
अभी  उठने  की  ठानी  नहीं  है .



 

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