लोकप्रिय पोस्ट

सोमवार, 10 जनवरी 2011

अजीब है कि मुझे रास्ता नहीं देता !!!!!!!!!!

अजीब है कि मुझे रास्ता नहीं देता
मैं उसको राह से जब तक हटा नहीं देता

मुझे भी चाहिये कुछ वक्त खुद से मिलने को
मैं हर किसी को तो अपना पता नहीं देता

ये अपनी मर्ज़ी से अपनी जगह बनाते हैं
समंदरों को कोई रास्ता नहीं देता


ज़रूर है किसी गर्दन पे रौशनी का खून
कोई चिराग तो खुद को बुझा नहीं देता

मेरी निगाह की गुस्ताखियाँ समझता है
वो जाने क्यों मुझे फ़िर भी सज़ा नहीं देता

ये छोटे छोटे दिये साज़िशों में रहते हैं
किसी का घर, कोई सूरज जला नहीं देता  !!!!!!!!!!!!!!

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें