मैं ने उन को आख़िरी ख़त में लिखा कुछ भी नहीं !!
(२) मरेंगें और हमारे सिवा भी तुम पे बहुत
ये जुर्म है तो फिर इस जुर्म की सज़ा रखना !!
ये जुर्म है तो फिर इस जुर्म की सज़ा रखना !!
(३) मैं चाहता भी यही था वो बेवफ़ा निकले
उसे समझने का कोई तो सिल_सिला निकले !!
उसे समझने का कोई तो सिल_सिला निकले !!
(४)बुझते हैं तो बुझ जाए कोई गम नहीं करते
हम अपने चारागो की लौ को कम नहीं करते!!
हम अपने चारागो की लौ को कम नहीं करते!!
(५) सर -ऐ -महफ़िल फ़क़त नज़रें मिलाईं थी तुमसे घबराए किसलिए ? हमने तो कहा कुछ भी नहीं यारो मैं तबाह हुआ अपनी मर्ज़ी से उन्हें तुम कुछ न कहो उनकी खता कुछ भी नहीं !!!!!
(६)समझते थे, मगर फिर भी न रखी दूरियां हमने
चिरागों को जलाने में जला ली उंगलियां हमने !!
चिरागों को जलाने में जला ली उंगलियां हमने !!
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