बोलता है तो पता लगता है
ज़ख्म उसका भी नया लगता है
रास आ जाती है तन्हाई भी
एक दो रोज़ बुरा लगता है
कितने ज़ालिम हैं ये दुनिया वाले
घर से निकलो तो पता लगता है
आज भी वो नहीं आने वाला
आज का दिन भी गया लगता है
बोझ सीने पे बहुत है लेकिन
मुस्कुरा देने में क्या लगता है
दो कदम है अदालत, लेकिन
सोच लो! वक़्त बड़ा लगता है !!!!
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