व़क्त कभी बेवफ़ा नहीं होता।
हरेक दिल से बुरा नहीं होता।
जो दूसरों को कहते रहते हैं बुरा,
उन्हें ख़ुद का सच पता नहीं होता।
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अश्क हैं क़ीमती यूं न जाया करो।
बेसबब बात को न बढ़ाया करो।
मुंतजिर हैं फ़क़त हम तो दीदार के,
चाह इतनी सी है न सताया करो।
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अनजान सी मुलाक़ात पहचान बन गई।
इक मीठे से रिश्ते की जान बन गई।
दो क़दम आप चले, दो क़दम हम चले,
और दोस्ती की राह आसान बन गई।
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सितारे आसमान से चमकते हैं।
बादल दूर से ही बरसते हैं।
हम भी अजीब हैं,आप दिल में हैं,
और हम मुलाक़ात को तरसते हैं।
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आह भरते हैं मगर रो नहीं सकते।
जान हाजिर है मगर दे नहीं सकते।
आरजू दिल में है, मगर मिल नहीं सकते,
याद करते हैं मगर कह नहीं सकते।
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कभी ख़ामोशी बहुत कुछ कह जाती है।
तड़पने के लिए सिर्फ़ याद रह जाती है।
क्या फ़र्क़ पड़ता है दिल हो या कोयला,
जलने के बाद तो सिर्फ़ राख रह जाती है।
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