मैं ढूँढता हूँ जिसे वो जहाँ नहीं मिलता
नई ज़मीं नया आसमाँ नहीं मिलता
नई ज़मीं नया आसमाँ भी मिल जाये
नये बशर का कहीं कुछ निशाँ नहीं मिलता
वो तेग़ मिल गई जिस से हुआ है क़त्ल मेरा
किसी के हाथ का उस पर निशाँ नहीं मिलता
वो मेरा गाँव है वो मेरे गाँव के चूल्हे
कि जिन में शोले तो शोले धुआँ नहीं मिलता
जो इक ख़ुदा नहीं मिलता तो इतना मातम क्यूँ
यहाँ तो कोई मेरा हमज़बाँ नहीं मिलता
खड़ा हूँ कब से मैं चेहरों के एक जंगल में
तुम्हारे चेहरे का कुछ भी यहाँ नहीं मिलता
लोकप्रिय पोस्ट
-
परिंदों को मंजिल मिलेंगी यकीनन यह फैले हुए उनके पर बोलते है वोही लोग रहते है खामोश अक्सर ज़माने में जिनके हुनर बोलते ...
-
अपनी पहचान मिटने को कहा जाता है. बस्तिया छोड़ के जाने को कहा जाता है पत्तिया रोज़ गिरा जाती है जहरीली हवा और हमें पेड़ लगाने को कहा जाता ह...
-
मुझको तो नहीं तुमको खबर हो शायद , लोग कहते हैं तुमने मुझे बर्बाद कर दिया >>>>>>>>>>>>>&...
-
दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुँजाइश रहे, जब कभी हम दोस्त हो जायें तो शर्मिन्दा न हों । एक दिन तुझ से मिलनें ज़रूर आऊँगा, ज़िन्दगी मुझ को ...
-
(१)दुनिया में और भी वजह होती है दिल के टूट जाने की लोग युही मोहब्बत को बदनाम किया करते है !! >>>>>>&...
-
(१) हमको दो गूंट की खैरात ही दे दो वरना ,प्यास पागल हो तो दरिया भी नही छोडती है . और अब के जब गाँव से लौटे तो ये अहसास हुआ के, दुश्मनी ख...
-
इंसान की ख्वाहिशों की कोई इंतहा नही दो गज़ ज़मीन भी चाहिये दो गज़ कफन के बाद !! .............................................................
-
कभी होती थी तनहाइयों में भी मेरे होटों पर हँसी, आज महफिलों में भी मुझे दर्द-ऐ-दिल हुआ करता है. मेरे जीने की आरजू करते थे मेरे दुश्मन भी कभ...
-
एक ग़लतफ़हमी थी जो आज मंज़ूर हो गई , तू मेरी नज़रों से और भी ज्यादा दूर हो गई . ये तेरी आँखें जिसमे कभी शराब से ज्यादा ...
-
हाले - दिल सब को सुनाने आ गये खुद मज़ाक अपना उडाने आ गये फ़ूंक दी बीमाशुदा दूकान खुद फ़िर रपट थाने लिखाने आ गये मार डाली पहली बीवी, क्या ह...
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें