लोकप्रिय पोस्ट

रविवार, 9 जनवरी 2011

पहली दफा हमेशा इनकार हुआ करती है

बिसात-ए-इश्क में हर दाव  दिल से चला जाता है
ज़रा भी चुके कहीं, तो हार हुआ करती है

इजहार-ए-इश्क का सबक आप हम से लीजिए

पहली दफा हमेशा इनकार हुआ करती है

न हो इनकार तो होता इकरार भी नहीं

इस तरह की कशमकश कई बार हुआ करती है


अगर न बने बात तो बढ़कर हाथ ही थाम लो
जंग-ए-इश्क आर या पार हुआ करती है

गर न माने दिल ज़लालत से गिरने को

तो लिख कर बयाँ कर दो, फिर कलम ही आखिरी हथियार हुआ करती है :)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें