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मंगलवार, 11 जनवरी 2011

अजीब शख्स था कैसा मिजाज़ रखता था !!!

अजीब शख्स था कैसा मिजाज़ रखता था
साथ रह कर भी इख्तिलाफ रखता था

मैं क्यों न दाद दूँ उसके फन की
मेरे हर सवाल का पहले से जवाब रखता था

वो तो रौशनियों का बसी था मगर
मेरी अँधेरी नगरी का बड़ा ख्याल रखता था


मोहब्बत तो थी उसे किसी और से शायद
हमसे तो यूँ ही हसी मज़ाक रखता था  !!!!

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