रहनुमाओं की अदाओं पे फ़िदा है दुनिया
इस बहकती हुई दुनिया को संभालो यारों
कैसे आकाश में सूराख नहीं हो सकता
एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों !!
इस बहकती हुई दुनिया को संभालो यारों
कैसे आकाश में सूराख नहीं हो सकता
एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों !!
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सर पे धुप आयी तो दरख्त बन गया मैं तेरी ज़िन्दगी में अक्सर मैं कोई वजह रहा हूँ
कभी दिल में आरजू सा , कभी मुंह में बददुआ सा
मुझे जिस तरह भी चाहा , मैं उस तरह रहा हूँ !!
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लफ्ज़ एहसास से छाने लगे , ये तो हद है
लफ्ज़ मन भी छुपाने लगे , ये तो हद है
आप दीवार गिराने के लिया आये थे
आप दीवार उठाने लगे , ये तो हद है
खामोशी शोर से सुनते थे की घबराती है
खामोशी शोर मचाने लगे , ये तो हद है !!
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ज़ुल्फ़ बिखरा के निकले वो घर से
देखो बादल कहाँ आज बरसे।
फिर हुईं धड़कनें तेज़ दिल की
फिर वो गुज़रे हैं शायद इधर से।!!
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ये इंतजार ग़लत है की शाम हो जाए
जो हो सके तो अभी दौर-ऐ-जाम हो जाए
खुदा-न ख्वास्ता पीने लगे जो वाइज़ भी
हमारे वास्ते पीना हराम हो जाए
मुझ जैसे रिंद को भी तू ने हश्र में या रब
बुला लिया है तो कुछ इंतज़ाम हो जाए
वो सहन-ऐ-बाग़ में आए हैं माय -काशी के लिए
खुदा करे के हर इक फूल जाम हो जाए
मुझे पसंद नहीं इस पे गाम -जान होना
वो रह-गुज़र जो गुज़र-गाह-ऐ-आम हो जाए !!
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