(१) अंधेरा मांगने आया था रौशनी की भीख
हम अपना घर ना जलाते तो क्या करते
हम अपना घर ना जलाते तो क्या करते
मेरी खैरियत भी पूछी, किसी और की ज़बानी
(४) मेरी बेज़ुबान आंखों से गिरे हैं चन्द कतरे
वो समझ सके तो आंसू, न समझ सके तो पानी
वो समझ सके तो आंसू, न समझ सके तो पानी
(५)रंज की जब गुफ्तगू होने लगी
आप से तुम, तुम से तू होने लगी
आप से तुम, तुम से तू होने लगी
(५)गुल से लिपटी हुई तितली को गिराकर देखो
आंधियों तुमने दरख्तों को गिराया होगा !!
आंधियों तुमने दरख्तों को गिराया होगा !!
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