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मंगलवार, 11 जनवरी 2011

खाली खाली न यूँ दिल का मकां रह जाये ~~~~~~~~

खाली खाली न यूँ दिल का मकां रह जाये
तुम गम-ए-यार से कह दो, कि यहां रह जाये

रूह भटकेगी तो बस तेरे लिये भटकेगी
जिस्म का क्या भरोसा ये कहां रह जाये

एक मुद्दत से मेरे दिल में वो यूँ रहता है
जैसे कमरे में चरागों का धुआं रह जाये


इस लिये ज़ख्मों को मरहम से नहीं मिलवाया
कुछ ना कुछ आपकी कुरबत का निशां रह जाये

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